Sunday 5 April 2015

Whats the girls think

“अरे यार कितनी मोटी लड़की है” या फिर “अरे यार कितनी काली लड़की है” या “अरे यार कितनी पतली लड़की है”etc.लडकी अगर मोटी, पतली, काली ,या नाटी, हो तो उसे हमेशा सोसाइटी के रोल मॉडल में अनफिट समझा जाता है फिर भले ही सूरज ,चाँद ,सितारे उन्हें अपनी रोशनी देना बद न करे , ये वायुमंडल उसे पूरी ओक्सीजन लेने दे पर मजाल है कि एक भी दिन ऐसा जाये जब उसे एक भी नई तरह की सलाह न मिले l फिर भले इससे उस लडकी के मन को बहुत तकलीफ पहुचें     हमारे भारतीय समाज में बिना मागे लोगो में सलाह देने की बहुत आदत है फिर भले ही ये सलाहे जख्म कुर्द्ने का काम करे, न की मलहम का काम करे l और उसके उपर से बची-कुची कसर हमारे एङ वर्ल्ड पूरी कर देते है “ 15 दिन में गोरा बनाये,नाटे को लम्बा करे, बस 3 महीने में मनचाही फिगर एक्ट्रा- एक्ट्रा” उसके उपर से धनवर्षा या हीरो जैसा बॉयफ्रेंड व् सपनों सा घर जैसे विवेक हरने वाले एङ के बैकग्राउंड, रही कही कसर पूरी कर देते है l अब इन सब के फेर में हर लडकी बस एक बार्बी डोल बनने लग गयी है और अपनी असली पहचान को खोती जा रही है l जो लडकीयाँ इस पिक्चर परफेक्ट सेटअप में फिट नही बैठती उन्हें सोसाइटी से टोटली साइलेंट बहिस्कार मिलता है और ऐसी लडकियों की सबसे ज्यादा बेज्जती तो तब होती है जब शादी के लिए लडके वाले उसे चला के ,उठा के ,क्वेश्चन – आंसर राउंड करके चेक करते है   l फिर लडकी में कमिया निकल- निकल करके रिश्ते की कीमत बड़ाई जाती है जैसे की एक मोस्ट ऑफ़ दी कॉमन कमी “ बाईसाहेब आप की लडकी एक तो सावली और ऊपर से उसे अंग्रेज़ी भी नही आती है” अब ये बताइए जनाब क्या अंग्रेज़ी बोलने वाली लडकी रोटी गोल न बनाकर सिर्फ अंग्रेज़ी में राउंड ही तो बनाएगी उसमे अंतर क्या आजायेगा- पर कमी तो कमी है                                                                   पर इन सभी चीजो से एक लडकी के मन पर क्या कुछ बितती है ये कोई नही समझता उसे अपने इस दुनिया में होने तक पर अफसोस होने लगता है अपने स्वरूप से नफरत सी होने लगती है और उसके ऊपर से माता-पिता व् रिश्तेदार भी ताने दे दे कर उसे चेन की श्वास नही लेने देते फिर उसे नॉन डिसर्विंग लडके से जबरन शादी करनी पड़ती है और ताउम्र उस रिश्ते को निभाना पडता है lक्या ये सब सही हो रहा है? एक लडकी जो सोसाइटी की नोर्म्स के मुताबिक नही है उसे ताउम्र उस रिश्ते को निभाना पडता है जो उसके लायक ही नही l                             क्या जरूरी है की लडकी मोटी है तो वो ज्यादा ही खाती होगी, नाटी है तो आलसी है हो सकता है, सावली है तो बदसूरत है भई ईश्वर ने भी तो श्यामवर्ण को अपनाया है फिर दुनिया इसमें क्यों कमी निकालती है एक अवएर्ज से दिखने वाली लडकी को क्यों नही स्वीकार्य किया जाता l आखिर एक अवएर्ज से दिखने वाली लडकी को भी उसी ईश्वर ने बनाया है जिसने ये दुनिया बनाई है जब वो हर चीज परफेक्ट ही करता है उसकी बनाई अवएर्ज लडकी भी तो परफेक्ट हुई इसलिए अब अगर किसी भी लडकी में कोई कमी निकलने की बात आये तो एक बार ये जरुर सोचिएगा कि आप उसी खुदा की बनाई हुये परफेक्ट पिस में कमी निकल रही है जिसने आप को भी बनाया है l

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