Monday 27 July 2015


डाॅ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम एक युग एक मसीहा 


Tuesday 14 July 2015

azadi

आजादी क्या है ? वो जो हम महसूस करते है या फिर वो भावना जिसे हम साकार रूप में देखना चाहतें हैं l
       आजादी बहुत कीमती होती हैं और इसकी सही कीमत पिजड़े में बंद पछी या जेल में बंद कैदी ही समझ सकता है या फिर वो व्यक्ति जिसे आजाद दिखने की पूरी आजादी हो पर आजाद होने कि आजादी बिल्कुल भी नही है अब आप सोचेगे भला इसका क्या मतलब हुआ 
इसका अर्थ ये हुआ कि जब आपको दुसरे के इच्छा के अनुसार जीना पड़े, खाना-पीना उठना-बैठना हर चीज पर दुसरो का नियंत्रण हो तब आप अपने आपको क्या आजाद महसूस कर पायेगे ? नहीं न
    पर हमारे चारो तरफ ऐसे कई गुलाम है जो की ऐसी गुलामी से बंधे हो शायद हम भी ........
मेरी एक भाभी जी है जिनके पतिदेव को शुगर कि बीमारी है पर मजाल है कि वो परहेज कर ले लेकिन ये बात जरुर है कि भाभी बिना शुगर की बीमारी के सारे परहेज कर रही है क्योकि उनके उनके पतिदेव को ये पसंद नही कि जब वो मीठी खीर नही खा सकते तो उनकी पत्नीं कैसे खा सकती है फिर भले ही उनकी पत्नीं की ये फ़वेरेट डिश हो, तो क्या इन भाभी जी को आजाद समझा जाये जिन्हें पचास की उम्र में भी घुघट में बाहर जाना पड़ता है
आज के समय में भी चाहे लड़का ही य लडकी अपनी मातृ पितृ भक्ती दिखाने के लिए अपने सपनों को, प्यार को खत्म करना पड़ता है ताकि उनके परिवार के मान सम्मान को चोट न पहुचे तो क्या ये आजादी है कि बच्चा अपने ही माता पिता से अपने मन की बात को ,इच्छा को न बता सके और  अनचाहे रिश्तों, सपनों, अपेक्षाओं को पूरा करने में अपनी पूरी जिन्दगी झोक दे फिर चाहे वो हमेशा इमोशनलेस या लाश कि तरह अपना जीवन जीये l एक बोझ कि तरह जीवन को, रिश्तो को, खुद को ढोता रहे........................................इस तरह तो हम कभी आजाद नही हुए
पर अब एक नई शुरुआत हो रही है और ऐसी गुलामी झेलने वाले ही ये नई शुरुआत कर रहे है, यही गुलाम आजादी की कीमती जानते है और वो अपनी आने वाली पीढ़ी को ये आजादी दे रहे है इसमें काफी मेहनत और संघर्ष है क्योकि हमे अपनी नई पीढ़ी को सम्भालने के साथ-साथ पुरानी पीढ़ी को भी जवाब देना है, हमे ये हमेशा याद रखना चाहिए कि आज का संघर्ष ही हमे हमारे हिस्से का आसमान देगा 
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Wednesday 1 July 2015

Emotional Suicide

अक्सर हम देखते है कि एक age के बाद कुछ लोगो के स्वभाव में अजीब से बदलाव आते है खासकर house wife’s के अंदर 35-40 कि उम्र में  ये बदलाव जरुर दिखयी देता है उनका स्वभाव गुस्सेवाला,चिढचिढ़ा और हर समय शिकायत करने वाला हो जाता है,उनमे मूढ़ स्विंग कि भी समस्या दिखने लगती है और कभी-२ वो  जल्दी-२ बिमार भी पड़ने लगती हैइसका कारण शारीरिक बदलाव से बड़ा है और वो है, लम्बे समय तक अपने emotions को दबा कर रखना. औरते अक्सर अपनी भावनाओं को दबा कर परिवार के प्रति समर्पित कर देती है पर जब उन्हें वो सम्मान नहीं मिलता जो वो चाहती है या जो परिणाम वो चाहती है नही मिलता है तब इस तरह से उनकी body और  mind react करते है जिसके कारण स्वभाव में अजीब से बदलाव आते है कई बार heavy body reactions भी होते हैं जिनके कारण उनमे गंभीर बिमारियाँ भी दिखयीं देती हैअक्सर हम सभी, हमारे बच्चे भी, अपने माता-पिता को या फिर अपने किसी करीबी को खुश करने के लिये खुद को तकलिफ देते है अपने सपनो, भवनाओं को मार देते है पर सच्चाई ये है कि इससे हसिल कुछ नहीं होता है बल्कि  ये एक तरह से emotional suicide हैअगर आप किसी अपने को वाकेई में प्यार करते है तो उसको अपनाने की शर्ते न रखे बल्कि उसे जीने दे न तो खुद emotional suicide करे, न ही किसी अपने को ऐसा करने दे . हमेशा ये याद रखे कि जैसे मर हुआ शरीर जिन्दा नहीं होता है वैसे ही मर हुआ मन न कभी खुश होता है और न ही कभी जिन्दा ही सकता है.
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